Bagori Village: हसीन वादियों के बीच उत्तरकाशी के हर्षिल के निकट स्थित वाइब्रेंट विलेज बगोरी (Bagori Village), प्रदेश का पहला मॉडल पर्यटन गांव बनेगा। पर्यटन विभाग ने इसका प्रस्ताव स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, दिल्ली (एसपीए) को भेज दिया है। जल्द ही एमओयू होने जा रहा है।

एसपीए इस गांव को पर्यटन का केंद्र बनाने के लिए विशेष तौर पर डिजाइन करेगा। अभी देशभर में इस गांव की पहचान लकड़ी के खूबसूरत घर और सेब के बगीचों से है। प्रदेश में पर्यटन की गतिविधियों पर सरकार का विशेष फोकस है। इस क्रम में एक ओर जहां 51 वाइब्रेंट विलेज (सीमावर्ती गांव) को विकसित करने के लिए विशेष योजना चल रही है तो उत्तराखंड का पर्यटन विभाग भी नए तरीके आजमा रहा है।

इसी कड़ी में हर्षिल से करीब एक 1 दूरी पर बसे बगोरी गांव को पर्यटन विभाग, प्रदेश का पहला मॉडल पर्यटन गांव बनाने जा रहा है। लकड़ी के नक्काशी वाले घरों की खूबसूरती को और बढ़ाने का काम दिल्ली स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर करेगा। विभाग ने इसका प्रस्ताव भेज दिया है। जल्द ही एमओयू होने जा रहा है। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद पर्यटन गतिविधियों के नजरिए से यह प्रदेश का पहला मॉडल गांव बन जाएगा।Bagori Village: क्या है गांव का इतिहास

1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान सीमावर्ती जादुंग और नेलांग गांव को खाली करा दिया गया था। ऐसे में लोग बगोरी गांव (Bagori Village) में आकर बस गए। जादुंग और नेलांग के लोग उस समय तिब्बत के साथ नमक का व्यापार किया करते थे। जो उस समय आजीविका का मुख्य साधन था। बाद में यहां के लोगों ने सेब की बागवानी की, जो वर्तमान में यहां के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है। गांव में करीब 150 लकड़ी के घर हैं, जो बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। यह हर्षिल से करीब एक किमी दूरी पर है, जिसके रास्ते में सात छोटे पुल हैं।

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