कैप्टन दीपक सिंह के परिवार का दर्द एक पुराने गीत की पंक्तियों में छिपा है – “ऐ मौत बुरा हो तेरा…तुने छीना है क्यों मेरा भाई…”। रक्षाबंधन से पहले बहनों को भाई के बलिदान की खबर ने तोड़कर रख दिया। पिता महेश सिंह पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं और पूरा पुलिस परिवार शोक में डूबा है। आस-पड़ोस का हर व्यक्ति कैप्टन दीपक सिंह की यादों में डूबकर आंसू बहा रहा है।

कैप्टन दीपक सिंह के घर बीते चार महीनों से खुशियों का माहौल था। चार महीने पहले उनकी एक बहन की शादी हुई थी। शादी में शामिल होने के लिए भाई दीपक सिंह भी देहरादून आए थे। इसके बाद अब चंद दिन पहले ही बड़ी बहन के घर बेटी ने जन्म लिया। परिवार की खुशियों को कैप्टन दीपक सिंह के बलिदान ने तोड़कर रख दिया है।

“रक्षाबंधन की खुशियों को बदल दिया मातम में, कैप्टन दीपक सिंह के बलिदान ने तोड़ा परिवार”

बेटी की खुशियों में भाग लेने के लिए कैप्टन दीपक सिंह के माता-पिता कोच्चि (केरल) गए हुए थे, लेकिन वहीं उन्हें बेटे के बलिदान की दुखद खबर मिली। महेश सिंह ने तत्काल रात की फ्लाइट से देहरादून के लिए रवाना हो गए। महीनों से चल रहा खुशियों का सिलसिला रक्षाबंधन से ठीक पांच दिन पहले अचानक थम गया। कैप्टन दीपक सिंह के परिवार की खुशियों को उनके बलिदान ने तोड़कर रख दिया है और गहरा दुःख पैदा कर दिया है।

“कैप्टन दीपक सिंह का घर मेडलों से भरा हुआ है, उनकी वीरता और प्रतिभा का प्रतीक”

कैप्टन दीपक सिंह के घर में एक कमरा उनके मेडलों से भरा हुआ है, जो उनकी पढ़ाई, खेल-कूद और सेना में उनकी वीरता का प्रतीक है। उन्होंने सेंट थॉमस स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की और शुरुआत से ही मेधावी छात्र रहे। उन्होंने फुटबाल, हॉकी समेत कई खेलों में प्रतिभाग किया था।

 शादी के लिए मांगा था समय

उनकी शादी के लिए परिवार सपने संजो रहा था, लेकिन उन्होंने शादी के लिए एक साल का समय मांगा था। राष्ट्रीय राइफल की सेवाएं पूरी करने के बाद ही उन्होंने शादी करने का निर्णय लिया था। बता दें, पुलिस लाइन में परेड से उन्हें फोर्स में भर्ती होने की प्रेरणा मिली थी। बचपन से ही वह पुलिस की परेड को देखते हुए बड़े हुए और 2020 में आईएमए से पासआउट हुए।

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