यमन (Yemen) के समुद्र में शरणार्थियों और प्रवासियों को ले जा रही नाव के डूबने से 49 लोगों की मौत हो गई है. 140 लोग अब भी लापता हैं. ये नाव हॉर्न ऑफ अफ्रीका से यमन जा रही थी। 10 जून को नाव पलट गई थी. नाव में 260 लोग सवार थे. इनमें से ज्यादातार लोग इथियोपिया और सोमालिया के थे।
अल जजीरा ने संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के हवाले से एक रिपोर्ट की है. रिपोर्ट के मुताबिक, नाव में सवार लोग यमन पहुंचने के लिए अदन की खाड़ी को पार करते हुए सोमालिया के उत्तरी तट से निकले थे. ये लोग करीब 320 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे थे. अल जजीरा ने ये भी बताया है कि हॉर्न ऑफ अफ्रीका और पूर्वी अफ्रीका से आए शरणार्थियों और प्रवासियों को खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ रहा है. ये लोग यमन के रास्ते सऊदी अरब और इस क्षेत्र के अन्य अरब देशों तक पहुंचने के लिए खतरनाक यात्रा कर रहे हैं। IOM ने 11 जून को बताया था कि मरने वालों में 6 बच्चे और 31 महिलाएं शामिल हैं। 71 लोगों को बचाया गया जिनमें से 8 को अस्पताल ले जाया गया।
इससे पहले अप्रैल में भी ऐसी ही घटना हुई थी. यमन पहुंचने की कोशिश में जिबूती तट पर दो जहाज डूब गए थे. तब 62 लोगों की मौत हो गई थी. IOM के मुताबिक, इस रास्ते पर कम से कम 1,860 लोग मारे गए हैं या लापता हो गए हैं. इनमें से 480 डूब गए। यमन लगभग एक दशक से चल रहे युद्ध से बुरी तरह प्रभावित है. इसके बावजूद भी शरणार्थी और प्रवासी इस रास्ते से जा रहे हैं. गाजा पट्टी पर इजरायल के युद्ध के बाद भी प्रवास कम नहीं हुआ है।
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान समर्थित हौथियों ने कई महीनों से अदन की खाड़ी में कमर्शियल और सैन्य जहाजों को निशाना बनाया है. और मांग की है कि इजरायल और गाजा के युद्ध को समाप्त किया जाए. इसके जवाब में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने यमन पर हवाई हमले किए हैं। IOM ने पिछले महीने जानकारी दी थी कि यमन में आने वाले प्रवासियों की संख्या 2021 से 2023 तक करीब तीन गुना बढ़ गई है. ये संख्या 27 हजार से बढ़कर 90 हजार से अधिक हो गई है. एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में करीब 3 लाख 80 हजार प्रवासी यमन में हैं।